समाज और हम : सावन ज़िंदगी कितनी भी तुम जी लो वो चलती है क़िस्मत के डोर से, जब क़िस्मत जैसा चाहती है वैसे घुमा देती है, पर प्रेम में ऐसा नहीं होता है, क़िस्मत बस मिलाने 02 जुलाई शेयर करें
मै तो कहीं का ना रहा : सावन मैं उस हर शख्स से इस जवाब के इंतज़ार में हूं, जिसको मैंने बिन मांगे अपना सब कुछ दिया। राते गुजार रहा हू तन्हा, दर्द और यादों के बीच पर जिसे चाहा शिद्दत 25 मई शेयर करें
बस यूंही - 2 : सावन समाज अपने नियम खुद ही बनाता बिगाड़ता है और ज़रूरत पड़ने पे उसे तोड़ मरोड़ के अपने हिसाब से सीधा कर लेता है, समझदार वही यहां पे जो सुने सबकी करे अपनी व 24 मई शेयर करें
एक पिता के नाम ख़त : सावन आप नहीं समझोगे मेरे प्रेम की पराकाष्ठा को, शायद आपने प्रेम किया होता तो आप समझते, रिश्ते निभाना आसान है क्योंकि बांध दिए जाता हैं रिश्तों के सहारे इं 18 मई शेयर करें
बेहतर होगा आज मेरा खामोश हो जाना : सावन लिखूं जो आज तो आसमां रो दे, बेहतर होगा मेरा आज खामोश हो जाना। मुद्दत गुजर गईं, एक ज़माना हो गया, इतने अर्से से सीखा है मैंने ख़ामोश हो जाना। कहूं कुछ तो 15 मई शेयर करें
खुद की जिंदगी बचाना गलत नही होता : सावन कुछ चलता है हमारे जेहन में जो हमें सोने नहीं देता, कुछ अच्छा सोचने नही देता करवट बदलते गुजर जाती है रात, पिछली कई रातों की तरह और नींद इस रात को भी नसीब 07 मई शेयर करें
हालत ए इश्क : सावन ज़िंदगी पता न किस मोड़ पे ला खड़ी की है, जिसको समझाना हमने आसान समझ रखा था, वही नही समझ पा रहे है, और जिसको समझाने के बारे में सोचा नही था की वो कैसे 06 मई शेयर करें
हालात ए जिंदगी : सावन तीन दिन खाना खाए हो गए, और बीपी को तो पूछिए ही नही, 150 तक चला जा रहा, डॉक्टर को लग रहा मैं नमक की बोरी खा रहा हूं उन्हें कैसे समझाऊं की खाना ही खाए 29 अप्रैल शेयर करें
जिंदगी का एक छोटा सफ़र : सावन मैने अपनी जिंदगी का कुछ समय बनारस में और उसमे भी एक हद तक मैने हरिश्चंद्र घाट पे बिताया है, मैने देखा है चिता के ठंडा होने तक अपने ही लोगो के आंसुओ क 28 अप्रैल शेयर करें
#Middle Class Family, #relationship सामाजिकता और व्यक्तिगतता में भेद : सावन मैं कभी भी अपने फैसले में समाज को समल्लित नही करता, समाज का नजरिया ही दोगला रहा है, मध्यम वर्ग के लिए उसकी कुछ अलग मानसिकता, छोटे वर्ग के लिए सबसे घट 28 अप्रैल शेयर करें