बस यूंही : सावन

 हर बार या हर दिन किसी न किसी ऐसे शख्स से मुलाकात हो ही जाती है जो पूछ लेता है की भईया जी का हाल बना लिए ? या का बाबू का हाल बना लिए हो ? 

जवाब में मुस्कुराहट और लबों पे एक झूठ होता है की व्रत है तो थोड़ी सी कमज़ोरी है।

पर हालत और हालात तो मैं ही जानता हूं न, कह नहीं सकता और कोई समझ भी नहीं सकता जिसको समझना है वो सुनना नहीं चाहता, और जो सुन लिए है समझ लिए जो की मेरे घर वाले है उनको मैं और अपने झमेले में डालना नहीं चाहता क्योंकि वो पहले से ही कदम कदम पे साथ खड़े है।

कभी कभी ज़िंदगी इतनी उलझ जाती है जैसे की वो सुलझना चाहती ही नही, जितना कोशिश करो और उलझती जाती है।


खैर महादेव साथ है तो सब ठीक होगा ही उनका आशिर्वाद हमारे साथ जो है 


सावन

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