डायरी का पन्ना : सावन

 कुछ दिन पहले तक मेरी ज़िंदगी चल रही थी, ठीक थी जैसी थी अचानक ऐसे मोड़ आए जिंदगी में की बस तूफ़ान सा आ गया, भूचाल कह लो,

मैं शायद कभी भी एक अच्छा इंसान किसी के लिए नही बन पाया, सब मुझसे निराश हुए है, चलो सबकी बात छोड़ते है मेरा पसंदीदा शख्स भी मुझसे निराश है इससे ज्यादा बुरा मेरे लिए क्या होगा, कुछ नही, सोचता हू उसके साथ रहूंगा तो और सब अपने दर्द को भूल जाऊंगा, पर जब उसके साथ होता हूं तो उसकी चुप्पी ही मुझे मार डालती है, वो मेरी गलती बताती, मुझे डांट लेती, मार लेती, या मार ही डाले तो शिकायत नहीं करता ना ही उफ्फ करता पर उसकी चुप्पी के आगे बेबस हो जाता हूं। रोता मर्द बेबस हो जाता है और रोता भी उसी के लिए है जिसको वो शिद्दत से चाहता है, पर मेरी आंसुओ की किसको पड़ी है, 

सर में दर्द, आंखो में आंसू, जेहन में कई तरह के डर लिए रात को बिस्तर पे पड़ा हू, उसके बिना मेरा कोई भविष्य नहीं शायद वो समझे कभी।

सावन

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